इंटरनेट सेवा 5 दिनों के लिए बंद, उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी

इंटरनेट सेवा 5 दिनों के लिए बंद, उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी

मणिपुर में हिंसा को देखते हुए सरकार ने बड़ा आदेश जारी किया है। इसके मुताबिक, उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, मणिपुर सरकार ने गुरुवार को आदिवासियों और मेइती समुदाय के बीच बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए अत्यधिक गंभीर मामलों में उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया है।

राज्यपाल की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि जब समझाना-बुझाना, चेतावनी और उचित बल का प्रयोग की सीमा पार हो गई हो और स्थिति को नियंत्रित नहीं किया जा सके, तो देखते ही गोली मारने का सहारा लिया जा सकता है। अधिसूचना राज्य सरकार के आयुक्त (गृह) के हस्ताक्षर हैं। अधिसूचना आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 के प्रावधानों के तहत जारी की गई है।
9,000 से अधिक लोग विस्थापित
नगा और कुकी आदिवासियों की ओर से आदिवासी एकजुटता मार्च निकालने के बाद बुधवार को हिंसा भड़क गई थी। हालात रात में और गंभीर हो गए थे। राज्य की 53 फीसदी आबादी वाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई। हिंसा के कारण 9,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं।

भारतीय सेना ने फर्जी वीडियो पर भरोसा न करने का किया आह्वान
भारतीय सेना की स्पीयर कॉर्प्स ने नफरत फैलाने और माहौल बिगाड़ने के इरादे से असम राइफल्स पोस्ट पर हमले के वीडियो सहित मणिपुर में सुरक्षा स्थिति पर नकली वीडियो प्रसारित किए जाने की आशंका जताई है। भारतीय सेना ने सभी से केवल आधिकारिक और सत्यापित स्रोतों के माध्यम से आए फोटो-वीडियो व अन्य कंटेंट पर भरोसा करने का अनुरोध किया है।

ब्रॉडबैंड सेवाएं भी बंद करने के निर्देश 
मणिपुर सरकार ने रिलायंस जियो फाइबर, एयरटेल एक्सट्रीम, बीएसएनएल आदि को ब्रॉडबैंड और डेटा सेवाओं पर रोक लगाने का आदेश दिया है। व्यापक हिंसा के मद्देनजर राज्य सरकार ने कल 5 दिनों के लिए राज्य में डेटा सेवाओं के निलंबन से संबंधित आदेश जारी किए थे।

सीआरपीएफ के पूर्व प्रमुख को सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया
मणिपुर सरकार ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पूर्व प्रमुख एवं सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी कुलदीप सिंह को बृहस्पतिवार को सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया। यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब मणिपुर में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा भड़कने के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना और असम राइफल्स को तैनात किया गया है। वर्ष 1986 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी कुलदीप सिंह पिछले साल सितंबर में सेवानिवृत्त हुए थे। वह राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के महानिदेशक पद का भी अतिरिक्त पदभार संभाल चुके हैं।

इस वजह से भड़की हिंसा
मार्च का आयोजन मणिपुर हाईकोर्ट की ओर से पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय द्वारा एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने के लिए कहने के बाद किया गया। पुलिस ने बताया कि चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में मार्च के दौरान हथियार लिए हुए लोगों की एक भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के लोगों पर हमला किया। जवाबी कार्रवाई में भी हमले हुए। इस वजह से पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई।

आठ जिलों में कर्फ्यू, मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित
स्थिति को देखते हुए गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और बिष्णुपुर जिलों और आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। राज्यभर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को तत्काल प्रभाव से पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है, लेकिन ब्रॉडबैंड सेवाएं चालू है।

भेजी गई सेना-आरएएफ
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह बातचीत की और वहां आदिवासी आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा के बारे में जानकारी ली। केंद्र सरकार मणिपुर के हालात पर करीब से नजर रख रही है। उसने पूर्वोत्तर राज्य के हिंसा प्रभावित इलाकों में तैनाती के लिए त्वरित कार्य बल (आरएएफ) के दल भेजे हैं। आरएएफ दंगे जैसे हालात को काबू में करने के लिए दक्ष बल है।

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